जैविक कृषि (organic farming )
जैविक कृषि (ORGANIC FORMING)
जैविक कृषि क्या है
जैविक कृषि पर्यावरण को लाभ पहुंचाने वाली खेती का एक प्रकार है । कृषि की इस प्रणाली में फसलों के उत्पादन के लिए प्रयोग किये जाने वाली सभी सामग्री या तो जैविक पदार्थों से निर्मित होती हैं या फिर ऐसी टेक्नोलॉजी से निर्मित होती हैं की वह पर्यावरण को कम हानि पहुंचाती हैं । कृषि कार्य में रासायनिक उर्वरक के स्थान पर सूक्ष्म जीवों से बने उर्वरक तथा रसायनकी खाद के स्थान पर पशुओं के गोबर और सड़ी गली वनस्पतियों से निर्मित खाद का प्रयोग किया जाता है । इसके कारण जल एवं भूमिक प्रदूषण पर नियंत्रण होता है । वर्तमान समय में सौर ऊर्जा एवं बिजली से चलने वाले उपकरणों के कारण ध्वनि प्रदूषण की समस्या से भी किसानों को राहत मिल रही है ।
🌿 जैविक कृषि (Organic Farming)
मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार:
जैविक कृषि में कंपोस्ट खाद और हरी खाद जैसे प्राकृतिक उर्वरकों के प्रयोग को बढ़ावा दिया जाता है। ये प्राकृतिक उपाय मिट्टी की उर्वरता और जैव विविधता को बढ़ावा देते है। प्राकृतिक खाद मिट्टी में नमी को बनाए रखने, मिट्टी के कटाव को रोकने तथा मिट्टी की संरचना में सुधार करने का कार्य करती है। प्राकृतिक खाद के प्रयोग से प्रति हेक्टेयर कृषि उत्पादकता में वृद्धि होती है।
🌿 जैविक कृषि (Organic Farming)का पर्यावरण लाभ:
रासायनिक उर्वरक में उपस्थित केमिकल मिट्टी और जल को प्रदूषित कर देते हैं। इसके कारण पर्यावरण को नुकसान होता है तथा जीव जंतुओं का स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है। जबकि जैविक कृषि में प्राकृतिक पदार्थों से निर्मित उत्पादों का प्रयोग कृषि कार्य के लिए किया जाता है। यह स्वास्थ्य पर्यावरण के निर्माण में सहायक होता है।
🌿 जैविक कृषि (Organic Farming) स्वास्थ्यवर्धक है
जैविक कृषि द्वारा उत्पन्न कृषि उत्पाद हानिकारक रसायनों तथा विषाक्त पदार्थों से मुक्त होते हैं। इन उत्पादों की पोषकता अधिक होती है। इनमें उच्च स्तर पर एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है। यह कैंसर, डायबिटीज,हार्ट अटैक जैसी बीमारियों को नियंत्रित करता है। वहीं रासायनिक पदार्थों से उत्पन्न कृषि उत्पाद कैंसर जैसी बीमारी का एक प्रमुख कारण हैं।
🌿 जैविक कृषि(Organic Farming) से बढ़ेगी आमदनी
आरंभिक चरण में जैविक कृषि अधिक लागत के कारण एक महंगा विकल्प दिखता है। परंतु दीर्घ अवधि में यह एक लाभदायक विकल्प बन जाता है। आगे चलकर प्राकृतिक उर्वरकों और कीट नियंत्रण विधियों के उपयोग से निवेश की लागत कम हो जाती है। मिट्टी की गुणवत्ता में वृद्धि से अधिक पैदावार और उच्च गुणवत्ता वाली फसलों का उत्पादन होता है। इनकी बाजार में कीमत भी अधिक होती है।
🌿 प्रदूषण पर नियंत्रण
जैविक कृषि सतत विकास को बढ़ावा देने वाली कृषि प्रणाली है। जैविक कृषि को व्यवहार में लाकर जल और मृदा प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सकता है। इसमें ऊर्जा के रूप में नवीकरणीय संसाधनों का प्रयोग किया जाता है। यह ग्रीन हाउस गैसों के उत्पादन पर नियंत्रण रखने का कार्य करता है। इसके कारण जलवायु में स्थायित्व बना रहता है।
भारत में जैविक खेती की चुनौतियाँ:
यूं तो जैविक कृषि किसानों की आय को बढ़ाने के लिए नवीन प्रणाली है परंतु इसको प्रयोग में लाने के लिए चुनौतियां भी कम नहीं है। भारत में जैविक कृषि के व्यवहार में लाने के लिए निम्नलिखित चुनौतियां
जैविक कृषि (Organic Farming)
के प्रति जागरूकता की कमी:
भारत के किसान जागरूकता में कमी के कारण जैविक कृषि की अवधारणा और इससे प्राप्त होने वाले लाभों से अनजान हैं। इसके कारण कृषि उत्पादकता में कमी के कारण बाजार में जैविक उत्पादों की मांग में वृद्धि नहीं हो पाती है। इसका परिणाम यह होता है की किसान जैविक खेती के प्रति अपनी रूचि नहीं दिखा पाता है। हैं।
जैविक कृषि (Organic Farming) में कृषि
उत्पादों के प्रमाणन की समस्या
जैविक उत्पादों की बिक्री के लिए इसके प्रमाणन की आवश्यकता होती। ये प्रमाणन राष्ट्रीय जैविक
उत्पादन कार्यक्रम (NPOP) जैसे सरकारी निकायों द्वारा दिया जाता है।
प्रमाणन प्रक्रिया समय लेने वाली और महंगी होने के कारण छोटे किसानों के लिए जोखिम भरी हो सकती है।
बुनियादी ढांचे में निवेश की समस्या:
जैविक कृषि के लिए खाद उत्पादन के गड्ढे, वर्मीकम्पोस्टिंग इकाइयां और जैविक खाद भंडारण सुविधाएं जैसे बुनियादी ढांचे की आवश्यकता होती । छोटे किसान इन बुनियादी ढांचे में निवेश करने में वित्तीय रूप में असमर्थ होते हैं। ऐसे किसानों की रुचि` जैविक कृषि के स्थान पर पारंपरिक खेती की और अधिक रहती है।
प्रभावी कीट और रोग नियंत्रण की समस्या:
जैविक कृषि में कीट नियंत्रण के लिए प्राकृतिक तरीकों का प्रयोग किया जाता है जैसे- फसल रोटेशन, इंटरक्रॉपिंग और जैविक नियंत्रण विधियां। परन्तु ये प्राकृतिक उपाय सिंथेटिक कीटनाशकों की तरह प्रभावी नहीं हो सकते हैं। इन उपायों को कृषि कार्य में अपनाने से फसल को नुकसान हो सकता तथा फसलों की पैदावार भी कम हो सकती है।
जैविक कृषि (Organic Farming)
उत्पादों के लिए बाजार की चुनौतियां:
किसानों के खेतों के नजदीकी क्षेत्र में जैविक उत्पादों की बिक्री के लिए विश्वसनीय बाजार न होने के कारण अपनी उपज को आने पौने दाम में बेचने पर विवश होना पड़ सकता है। अपने उत्पाद की कीमत उम्मीद के अनुरूप न मिलने के कारण यह किसानों को जैविक खेती के तरीकों को अपनाने से हतोत्साहित कर सकता है
चुनौतियों से निपटने के उपाय
अगर कहीं समस्या होती है तो उसका समाधान भी उसी में छिपा होता है। जैविक कृषि में भले ही विविध प्रकार की चुनौतियां हों किंतु इसका समाधान निम्नलिखित उपायों को क्रियान्वित करके किया जा सकता है।
फसल विविधता का महत्व:
जैविक कृषि विविध प्रकार की फसलों की खेती को बढ़ावा देती है। यह मिट्टी के गुणवत्ता को बनाए
रखने तथा मिट्टी से होने वाली बीमारियों को रोकने में मदद करती है। फसल विविधता फसल के
खराब होने के जोखिम को कम करने तथा खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में भी मदद करता है।
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