कैसा होगा 5G टेक्नोलॉजी का future


                 What is 5G 

का मतलब generation of  इंटरनेट


  5G के बारे में पिछले लगभग 2 सालों से चर्चा हो रही है और अब कई देशों में इसका इस्तेमाल शुरू हो चुका है।

  5G टेक्नोलॉजीज के आने से दुनिया काफी बदलने वाली है 

  हम साल 2021 में पहुंच चुके हैं और यह 5G का दौर है!  5G के बारे में पिछले लगभग 2 सालों से चर्चा हो रही है और अब चीन, अमेरिका, जापान और यहां तक ​​कि दक्षिण कोरिया जैसे देशों में इसका इस्तेमाल शुरू हो चुका है।  5G की चर्चा में ही हम स्वचालित गाड़ियों, ऑग्मेंटेड रियलिटी और (iot )इंटरनेट ऑफ थिंग्स जैसी चीजों पर बात करने लगते हैं।

  लेकिन 5g पर चर्चा के बीच कई लोग यह जानने के लिए जरूर उत्सुक होंगे कि 5 g टेक्नोलॉजीज आखिर है क्या 

और यह मौजूदा टेक्नोलॉजीज के बीच किस तरह से हमारे बीच में आएगा



तो चलिए हम इसे आपको समझाने की कोशिश करते हैं।

            5G क्या है?

  5 g मोबाइल नेटवर्क का पांचवा जेनरेशन है।  5G को इस तरह से सोचिए कि 4G नेटवर्क की स्पीड का 100 गुना है।  4G की तरह ही, 5G भी उसी मोबाइल प्रोग्रामिंग प्रिंसिपल पर आधारित है।

  पांचवी पीढ़ी की वॉयस तकनीक अल्ट्रा लो लेटेन्सी (आपके फोन और टॉवर के बीच सिग्नल की स्पीड) और मल्टी-जीबीपीएस डेटा स्पीड पहुंचाने में सक्षम है।

  यह एक सॉफ्टवेयर आधारित नेटवर्क है, जिसे सक्रिय नेटवर्क की गति और कार्यक्षमता को बढ़ाने के लिए dewolope  किया गया है।  यह तकनीक डेटा quantity ko भी बढ़ाती है, जो active  नेटवर्क को transmitte Kiya  जा सकता है।

  5G टेक्नोलॉजीज का आधार      पांच तकनीकों से बनता है

  1. मिलीमीटर वेव

  2. छोटी पंक्तियाँ

  3. मैक्सिमम मिमो

  4. बीम प्रदर्शन

  5. फुल डुप्लेक्स


      Base of 5 g

  5G तकनीक "सब -6 बैंड" में काम करने में सक्षम है, जिसकी frequency  आम तौर पर 3Ghz-6Ghz के बीच होती है।  ज्यादातर मौजूदा डिवाइस जैसे मोबाइल, टैबलेट और लैपटॉप भी इसी तरह frequency  में काम करते हैं

  हालांकि इस प्रणाली में काफी ट्रैफिक होने के कारण अब reaserchers 

6Ghz से ऊपर प्रयोग करने की सोच रहे हैं।  वे 24Ghz-300Ghz स्पेक्ट्रम पर काम करने की तैयारी में हैं, जिन्हें हाई-बैंड माना जाता है।  एक्सपर्ट इसे मिलीमीटर-वेव (मिमीवेव) भी कहते हैं।

  मिलीमीटर-वेव 5g

  मिलीमीटर-वेव 5G बहुत सारा डेटा acquired  करता है, जो 1 जीबी प्रति सेकंडेंड की स्पीड से डेटा ट्रांसफर को को बनाता है।  ऐसी तकनीक वर्तमान में अमेरिका में वेरीजॉन और एटी एंड टी जैसे टेलीकॉम ऑपरेटर इस्तेमाल कर रहे हैं।

          स्पीड सेल्स

  5G टेक्नोलॉजीज का दूसरा आधार स्पीड सेल्स है।  मिलीमीटर-वेव में रेंज के साथ समस्या है, जिसकी भरपाई स्पीड सेल्स करती है।  चुंकि मिमी वेव रुकावटों में काम नहीं कर सकता है, इसलिए मेनू सेल टॉवर से सिग्नल रिले करने के लिए पूरे क्षेत्र में बड़ी संख्या में मिनी सेल टावर्स लगाए जाते हैं।  ये छोटे सेल को पारंपरिक टॉवर की तुलना में कम दूरी पर रखा जाता है ताकि यूजर्स को बिना किसी रुकावट के 5 जी सिग्नल मिल सके।

      मैक्सिमम मिमो

  5G टेक्नोलॉजीज का अगला आधार मैक्सिमम MIMO है, यानी मल्टीपल-इनपुट और मल्टीमल आइटम नंबर।  इस तकनीक का इस्तेमाल कर ट्रैफिक को नियंत्रित करने के लिए बड़े सेल टावर्स का इस्तेमाल किया जाता है।  एक रिज्यूलर सेल टावर जिससे 4G नेटवर्क मिलता है, वह 12 एंटीना के साथ आता है जो उस क्षेत्र में सेल्युलर ट्रैफिक को हैंडल करता है।


  MIMO 100 एंटीना को एक साथ सपोर्ट कर सकता है जो अधिक ट्रैफिक रहने पर टावर की क्षमता को बढ़ाता है।  इस तकनीक के सहारे आसानी से 5G सिग्नल पहुंचाने में मदद मिलती है।

  बीमफॉर्मिंग

  बीम परफॉर्मिंग एक ऐसी तकनीक है जो लगातार फ्रीक्वेंसी की कई सारे सोर्सेज को अपडेट कर सकती है और एक सिग्नल के ब्लॉक रहने पर दूसरे मजबूत और अधिक स्पीड वाले टॉवर पर स्विच करती है।  यह सुनिश्चित करता है कि विशेष डेटा केवल एक विशेष दिशा में ही होना चाहिए।

  फुल डुप्लेक्स

  फुल डुप्लेक्स एक ऐसी तकनीक है, जो एक समान फ्रीक्वेंसी बैंड में एक साथ डेटा को ट्रांसमिट और रिसीव करने में मदद करता है।  लैंडलाइन कवरेज और शॉर्ट वेव रेडियो में इस तरह की तकनीक का इस्तेमाल होता है।  यह तु-वे स्ट्रीट की तरह है, जो दोनों ओर से समान ट्रैफिक है।

  5G से के फायदे


  जरा सोचिए कि आपने एक फुल एचडी फिल्म 3 सेकंड के अंदर डाउनलोड कर ली।  बहुत ही तेज होने वाला 5 जी नेटवर्क है।  क्वॉलकॉम के अनुसार, 5 जी ट्रैफिक कपैसिटी और नेटवर्क एफिसिएंसी में 20 जीबी प्रति सेकंडेंड की स्पीड देने में सक्षम है।

  इसके अलावा मिमी वेव के साथ, आप 1ms की लेटेंसी पा सकते हैं जो तुरंत कनेक्शन इस्टैब्लिश करने और नेटवर्क ट्रैफिक को कम करने में मदद करता है।


  यह तकनीक क्लास रियलिटी, अटैविक ड्राइविंग और इंटरनेट ऑफ थिंग्स के लिए आधार बनने जा रही है।  यह सिर्फ आपके स्मार्टफोन का उपयोग करने के अनुभव को बेहतर नहीं करने वाला है, बल्कि मेडिकल, इन्फ्रास्ट्रक्चर और यहां तक ​​कि मैन्युफैक्चरिंग के विकास में भी मदद करने वाला है।

  5 जी की मान्यताएं

  5G टेक्नोलॉजीज को लाने में काफी तेजी रही है।  नेटवर्क ऑपरेटर्स को मौजूदा सिस्टम हटाना पड़ेगा क्योंकि इसके लिए 3.5Ghz से अधिक फ्रीक्वेंसी की जरूरत होती है जो 3 जी या 4 जी में इस्तेमाल होने वाले से बड़ा बैंडविड्थ है।

  सब -6 Ghz स्पेक्ट्रम की बैंडविड्थ भी लिमिटेड है, इसलिए इसकी स्पीड मिलीमीटर-वेव की तुलना में कम हो सकती है।

  इसके अलावा, मिलीमीटर-वेव कम दूरियों में ज्यादा प्रभावी होता है और यह रुकावटों में काम नहीं कर सकता है।  यह पेड़ों के द्वारा और बारिश के दौरान एब्जॉर्ब भी हो सकता है, इसका मतलब यह है कि 5G को ठोस तरीके से लागू करने के लिए आपको काफी हार्डवेयर लगाने की जरूरत होगी।

  5G का विस्तार तो रहा है लेकिन लोगों की उम्मीदों के मुताबिक नहीं है।  GSMA इंटेलीजेंस रिपोर्ट के अनुसार, मौजूदा टैग के तहत भी 2025 तक 3 जी और 4 जी को 5 जी ओवरटेक नहीं कर पाएगा।

  2025 तक 5 जी के विस्तार का अनुमान

  हालांकि, क्वॉलकॉम के अध्यक्ष क्रिस्टियानो आमोन का मानना ​​है कि 2022 तक 5G स्मार्टफोन की संख्या 75 करोड़ होगी और 2023 तक 5G कनेक्शन 1 अरब होना चाहिए।  4G को इस आंकड़े तक पहुंचने में इससे दो साल ज्यादा लगे हैं।

  इसके अलावा 5G टेक्नोलॉजीज के साथ सिक्योरिटी और प्राइवेसी का भी मुद्दा है, जो ज्यादा इस्तेमाल होने के बाद ही पता चल रहा है।

  क्या 5G, 4G के साथ काम कर सकता है?

  6Ghz से अधिक स्पेक्ट्रम की फ्रीक्वेंसी में 5G बेहतर काम करता है।  2 जी, 3 जी और 4 जी जैसी पुरानी तकनीक भी मेमोरी बैंड पर परिचालन होती है जो 3.5Ghz से 6Ghz के बीच होती है।

  एंड्रायड सेंट्रल की एक रिपोर्ट के अनुसार- 5G, 4G के साथ काम कर सकता है लेकिन 3Ghz-6Ghz स्पेक्ट्रम अधिक इस्तेमाल होने के कारण रिसर्चर्स 6Ghz से आगे 30Ghz-300Ghz के बीच शॉन्ड मिमी वेव पर एक्सपेरिमेंट कर रहे हैं।

  इस तरह के स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल पहले टेलीविजन के लिए होता था लेकिन कभी मोबाइल डिवाइसों के लिए नहीं किया गया था।  इस स्पेक्ट्रम में जाने का मतलब है मोबाइल डिवाइस के लिए अधिक बैंडविड्थ मिलना।

  पिछले कुछ वर्षों में 5G की बदलती तस्वीर


This blog is written by 

         Shivam sahu 

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